Saturday 2 February 2008

लतीफ़ों की बौछारें

एक बेरोजगार युवक नौकरी के लिए एक कंपनी के मैनेजर के पास गया और बोला- 'सर आप मुझे महीने के एक लाख रुपए वेतन, एक फ्लैट, एक कार दे सकते हों तो मैं नौकरी के लिए तैयार हूँ।
मैनेजर बोला- 'मैं आपको दो लाख रुपए वेतन, दो कार, दो फ्लैट दूँगा।
यह सुनकर युवक बोला- 'सर, आप मजाक तो नहीं कर रहे हैं?
मैनेजर ने कहा- 'श्रीमानजी, शुरुआत तो आपने ही की थी।

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पत्र लिखते-लिखते पतिदेव रुक गए और चिंतित मुद्रा में इधर-उधर देखने लगे। पत्नी ने उन्हें चिंतित देखकर पूछा- 'आप अचानक ही चिंतित क्यों हो उठे?
'अभी-अभी वह मेरी जुबान पर था... गायब हो गया। पति ने बताया।
'परेशान क्यों होते हो, जरा फिर सोचिए, वापस आ जाएगा। पत्नी बोली।
'कैसे वापस आएगा, वह लिफाफे पर लगाने का टिकट था। पति ने अफसोस से कहा।
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दो दोस्त स्कूल देर से पहुँचे तो टीचर ने उनसे कहा- 'विजय, तुम लेट क्यों आए?
विजय- 'मेरे पाँच रुपए रास्ते में गिर गए थे तो मैं उन्हें ढूँढ रहा था।
टीचर- 'और अजय तुम देर से क्यों आए?
अजय- 'क्योंकि मैं विजय के पाँच रुपए के ऊपर खड़ा था।
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जेलर (कैदी से)- 'तुम किस अपराध में जेल आए हो?
कैदी- 'सरकार से कॉम्पिटिशन हो गया था।
जेलर- 'किस बात का?
कैदी- 'नोट छापने का।
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दो मित्र आपस में बात कर रहे थे। एक मित्र ने कहा- 'यार, जब मैं सूट पहनकर
सब्जी लेने जाता हूँ तो दुकानदार मुझे महँगी सब्जी देता है और जब गंदे कपड़े पहनकर जाता हूँ तो सस्ती देता है।
दूसरे मित्र ने सुझाव दिया- 'यार तुम कटोरा लेकर जाया करो, मुफ्त में ही दे देगा।
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पति- 'मुन्ना रो रहा है, उसे चुप कराओ।
पत्नी- 'तुम ही चुप करा दो, मैं इसे दहेज में नहीं लाई थी।
पति- 'मैं भी इसे बारात में नहीं ले गया था।
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एक शराबी अखबार पढ़ रहा था। अचानक उसे लगा कि वह चश्मा लगाना भूल गया
है। उसने घर में चश्मा ढूँढना शुरू किया। उसकी नजर घर के आईने पर पड़ी। वह
चिल्लाकर पत्नी से बोला- 'मेरा चश्मा किसने आईने पर चिपका रखा है।
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रीना अपनी सहेली से- 'क्या बात है तुम्हारे भैया दिन-ब-दिन गोरे होते जा रहे हैं?
सहेली- 'दरअसल बात यह है कि पहले मेरे भैया कोयले की दुकान चलाते थे, लेकिन आजकल उन्होंने आटा चक्की लगा ली है।
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भिखारी कौन...
एक भिखारी ने ट्रेन में खड़े सज्जन से कहा- 'भगवान के नाम पर पैसा दे दे बाबा।
सज्जन- 'छुट्टे नहीं हैं।
भिखारी- 'कितने के छुट्टे चाहिए, पाँच सौ के या सौ रुपए के।
सज्जन बोले- 'अरे, यदि पाँच सौ रुपए के छुट्टे तेरे पास हैं तो भिखारी कौन है।
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एक बच्चा दौडा-दौडा घर आया और अपने दार्शनिक मुद्रा में रहने वाले पिता से
बोला- 'पिताजी, मुझे वह गाली देता है।
पिता (सोचते हुए)- 'बेटा, कुछ देता ही है न, लेता तो नहीं।
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एक महाकंजूस रुपया बचाने के चक्कर में अपने घर की छत की मरम्मत खुद ही करने
लगा। अनुभवहीनता के कारण वह छत से फिसल गया। जब वह नीचे गिर रहा था तो
बीच में रसोईघर की खिड़की पड़ी। उसे देखकर उसने जोर से चिल्लाते हुए अपनी पत्नी
से कहा- 'आज मेरे लिए खानामत पकाना।
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प्रवीण (एकवचन और बहुवचन में अंतर पूछते हुए)- 'बताओ रमेश, पजामा एकवचन
है या बहुवचन।
रमेश- 'पजामा ऊपर से एकवचन और नीचे से बहुवचन है।
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एक लेखक ने अपनी पुस्तक पत्नी को समपत करते हुए लिखा- 'अपनी पत्नी को,
जिसकी अनुपस्थिति के कारण ही यह पुस्तक लिखी जा सकी।
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माँ ने गुस्से से भरकर कहा- 'तुम्हें वह मद्रासी लिंगास्वामी चूम रहा था और तुम चुप खड़ी यह सब सहती रहीं, उसे मना क्यों नहीं किया?
'दरअसल, मैं समझ नहीं पा रही थी कि कैसे मना करूं, क्योंकि मैं तो मद्रासी भाषा जानती नहीं - बेटी ने जवाब दिया।
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एक आशिक मिजाज सौदागर जब माल की खरीददारी के दौरे से बहुत दिनों तक न लौटा और पत्नी को हर पत्र में यही लिखता रहा कि बडे जोर-शोर से खरीददारी कर रहा हूं, इसलिए जल्दी नहीं लौट सकता,
पत्नी ने तंग आकर उसे तार भेजा, जिसमें लिखा था- 'तुरंत लौटो, नहीं तो आप वहां खरीद रहे हैं, मैं यहां बेचना शुरू कर दूंगी।
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संता सिंह (प्रीतो से)- जानती हो, जितनी देर में मैं एक सांस लेता हूं,
उतनी देर में देश में एक नया बच्चा जन्म लेता है।
प्रीतो (आश्चर्य से)- हाय राम, तब तुम अपनी यह हरकत छोड़ क्यों नहीं देते?
देश की आबादी पहले से ही इतनी बढी हुई है।
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एक रात को संतासिंह सो रहे थे कि एक मच्छर उनके कान के पास आया और गुनगुन करने
लगा। इससे संतासिंह की नींद खुल गई। फिर जैसे ही वो सोने की कोशिश करते मच्छर उनके
कान के पास आवाज करने लगता। संतासिंह को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने मच्छर को पकड़
लिया। मच्छर मर गया लेकिन उसमें से खून नहीं निकला। संतासिंह बोले- सो जा मच्छर बेटे, सो
जा।
थोडी देर बाद उन्हें लगा कि मच्छर गहरी नींद में सो चुका है तो वे उसके पास गए और उसके
कान के पास जाकर बोले- 'गुननननन-गुनननन।
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एक द्वीप पर तीन आदमी फंसे हुए थे। उनमें एक मुस्लिम था, एक हिंदू और संतासिंह । तीनों
इसी सोच में थे कि 100 मील तक तैरकर घर तक कैसे पहुंचा जाए। मुस्लिम ने हिम्मत दिखाई
और तैरता हुआ 50 मील का रास्ता पार कर लिया। लेकिन थकने के कारण वो डूब गया।
अब हिंदू ने सोचा कि चलो एक बार कोशिश करके देख लूं। वो भी करीब 75 मील तक तैरकर
डूब गया। दोनों के जाने के बाद संतासिंह बच गए। उन्होंने सोचा अब मैं अकेला यहां क्या
करूंगा मैं भी हिम्मत कर ही लूं।
ये सोचकर उन्होंने पानी में छलांग लगा दी। 50 मील तैरने के बाद उन्हें लगा कि अब मैं थक
गया हूं आगे बढूंगा तो डूब जाऊंगा ये सोचकर संतासिंह वापस द्वीप पर चले गए।
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एक शेखीखोर अमेरिकन जब भारत आया तो यहाँ के दर्शनीय स्थल देखने पहुँचा। ताज की भव्यता देखी तो उसने गाइड से पूछा- 'इसे बनाने में कितना समय लगा था?
गाइड ने जवाब दिया- 'बीस बरस!
अमेरिकन बोला- 'बीस बरस सुस्ती के कारण लगे होंगे। हमारे यहाँ तो यह चीज चार साल में तैयार हो जाती।
जब ये लोग लाल किले पर पहुँचे तो वहाँ भी उसने यही प्रश्न पूछा। गाइड के जवाब पर उसने दंभ से कहा- 'हमारे यहाँ तो यह चीज पाँच साल में बनकर खड़ी हो जाती।
गाइड यह सुनकर चिढ रहा था। उबल रहा था। जब अमेरिकी पर्यटक के साथ अगले दिन वह कुतुब मीनार पर पहुँचा तो पर्यटक ने पूछा- 'यह इतना ऊँचा टॉवर क्या चीज है?
गाइड ने शान से सीना तानकर कहा- पता नहीं हुजूर, यह क्या है? परसों शाम जब मैं इधर से निकला था, यहाँ कुछ भी नहीं था। सपाट मैदान था यहाँ पर, आपकी कसम!
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ज्योतिषी : बच्चा, शनि तेरा सर्वनाश करने वाला है। यदि तू सौ रूपए
देगा, तो उपाय निकाल दूँगा।
चंदूजी :महाराज, सौ नहीं हैं।
ज्योतिषी : तो मैं सस्ता जाप करा दूँगा,
पच्चीस रूपए ही दे दो।
चंदूजी : नहीं है, महाराज।
ज्योतिषी: अच्छा, चल घर पर चाय-नाश्ता ही करा देना।
चंदू जी : घर नहीं है महाराज। मैं तो फुटपाथ पर रहता हूँ।
ज्योतिषी : ओहो! तब तो जा बच्चा और मौज कर। शनि तेरा कुछ भी
नहीं बिगाड सकता।
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ब्रह्माजी ने ब्रह्माण्ड की रचना की। फिर आराम किया इसके बाद उन्होंने पुरुष को बनाया। फिर आराम किया। इसके बाद उन्होंने नारी की रचना की।
और बस। तबसे न ब्रह्माजी को आराम है, न पुरुष को।
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जु के किनारे कॉलेज की दो लडकियाँ आपस में बातें कर रही थीं।
पहली ने दूसरी से पूछा, ''पता नहीं लड़के अकेले में कैसी-कैसी बातें
किया करते हैं?
दूसरी- 'इसी तरह की जैसी हम करती हैं और कैसी?
पहली-'सच ?
दूसरी-'तो और क्या ?
पहली-'हाय राम। ये लड़के कितने बेशर्म होते हैं।
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हमारे एक प्रोफेसर मित्र हैं जो बहुत भावुक हैं। वे हिन्दी पढ़ाते हैं और
उनकी एक खास आदत है कि वे किसी नवयुवती के नमस्कार का उत्तर
नहीं देते, चुपचाप आगे बढ़ लेते हैं। एक दिन उनके साथ जा रहा था।
रास्ते में कॉलेज की एक लड़की ने उन्हें नमस्कार किया। आदत के
मुताबिक उन्होंने कोई उत्तर नहीं दिया। लड़की ने आखिर साहस करके
पूछ ही लिया, ''सर आप नमस्ते का जवाब क्यों नहीं देते ? ''प्रोफेसर ने
उत्तर दिया-'' दस साल पहले एक नमस्ते का जवाब दिया था। आज
तक भुगत रहा हूँ। पाँच बच्चे हैं, रोज सुबह उठकर उन्हें नमस्कार करना
पड़ता है।
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एक युवक को लन्दन में ऐसी चमत्कारी गोलियाँ मिलीं, जिसके सेवन से
मनुष्य की उम्र कम हो जाती थी। उसने उन गोलियों का सेवन किया और
एक शीशी भरकर अपनी माँ के पास हिन्दुस्तान भिजवा दी, इस आशा से
कि इनके सेवन से वह भी युवती दिखने लगेगी।
कुछ महीनों बाद जब वह लौटकर हिन्दुस्तान आया तो उसने अपनी माँ
को तो पहचान लिया, पर अपनी माँ की गोद में लेटे हुए बालक को न
पहचान सका। कौतूहलवश उसने माँ से पूछा, ''माँ तेरी गोद में कौन-सो
रहा है?
बेटे, ये तेरे बाप हैं-इन्होंने दस गोलियाँ खा ली थीं।
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चीकूजी ने जासूस की नौकरी के लिए अर्जी दी थी। दूसरे उम्मीदवारों के साथ-साथ इन्हें भी कंपनी ने इंटरव्यू के लिए बुलाया था। वहाँ पहुँचने पर सभी उम्मीदवारों को एक-एक सीलबंद लिफाफा देकर कहा गया कि इसे चौथी मंजिल पर ले जाएँ।
सब तो चले गए। पर चीकूजी उस लिफाफे को लेकर बाथरूम में घुस गए। बहुत सावधानी से जब उन्होंने लिफाफा खोल लिया तो अंदर से एक कागज निकल आया। जिस पर लिखा था हमें आप जैसे की ही तलाश थी। पाँचवीं मंजिल पर आकर नियुक्ति पत्र ले लीजिए।
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खबरदार!
सिनेमा हॉल में दो औरतें इतनी जोर से बातें कर रही थीं कि पास बैठा दर्शक खीझकर बोल ही पड़ा- 'देखिए ! आपकी बातचीत में
मुझे कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा।
उनमें से एक ने तपाक से कहा- 'हम तुम्हें सुना भी नहीं रहे, मिस्टर ! हमारी बातचीत एकदम प्रायवेट है।
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बस में भीडभाड थी।
धक्का-मुक्की से तंग आकर एक युवती ने अपनी खीझ पाँच बच्चों वाली एक बुजुर्ग महिला पर निकाली-
'ओ चाची! अपनी चिल्लर को ठीक से क्यों नहीं सँभालतीं ?
बड़ी महिला ने शांति से कहा-
'सँभाल लूँगी भतीजी! पर....हाँ, लगता है, अभी तुमने अपना रुपया नहीं तुड़वाया! क्यों ?
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क्या इस बार आप मेरे साथ डांस करेंगी? एक नवयुवक ने पूछा।
'मुझे खेद है मैं एक बच्चे के साथ डांस नहीं कर सकती। घमंडी युवती ने उत्तर दिया।
'ओह ! माफ करें, मुझे आपकी हालत का पता न था।
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अंधेरे में एक आदमी सहमा सा खड़ा था। तभी आ गया एक कडक हवलदार। पूछने लगा-
'क्यों ? क्या नाम है तेरा ?
'जी शेरसिंह!
'बाप का नाम ?
'दिलेरसिंह!
'दादा का नाम?
'शमशेरसिंह!
'यहाँ क्यों खड़े हो?
'देखते नहीं, सामने कुत्ते का पिल्ला घूम रहा है। अगर उसने मुझे देख लिया तो ?
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दफ्तर में दो दोस्त बतिया रहे थे।
पहला- अच्छा हुआ कि 'पाँच दिन काम, दो दिन आराम का सिध्दांत, पश्चिम से हमने ले लिया, वरना दफ्तर में काम कर करके कमर टूट जाती।
दूसरा- चाहे इसे पश्चिम का सिध्दांत कह लो, लेकिन भाई, इस सिध्दांत पर चलकर सुखी जीवन जीने का उदाहरण हमारे महाभारतकाल में पहले से मौजूद है।
पहला- क्या कहते हो ?
दूसरा- ठीक कह रहा हूँ। द्रोपदी का गृहस्थ जीवन याद करो।
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चंदूजी बात-बात में बस यह बात बोलते थे- 'इससे भी बुरा हो सकता था।
एक बार उनका एक दोस्त घबराया हुआ आया और बोला- चंदू! आज तो गजब हो गया। मैंने अपनी बीवी को पड़ोसी के साथ रोमांस करते देख लिया, तो दोनों का खून कर दिया...!
चंदूजी ने अपना परिचित वाक्य दोहराया- 'दोस्त इससे भी बुरा हो सकता था।
दोस्त जल-भुनकर बोला- 'हद है यार- मेरे हाथों दो का खून हुआ, पुलिस मेरे पीछे लगी है। मैं भागता फिर रहा हूँ....! तुम्हीं कहो, इससे भी बुरा और क्या हो सकता था?
चंदूजी ने कहा- 'अगर तुम एक घंटा पहले घर पहुँचते तो बजाय पड़ोसी के मैं मारा जाता।
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सेल्समैन- 'सुना है, आप मक्खियों से परेशान हैं। हमारी दवा ' टरमपम्पम् आजमाइए।
तुरंत राहत पाएँगे।
पन्नूजी- 'क्या यह दवा गजब की मक्खीमारक है?
सेल्समैन- 'मक्खीमारक नहीं, गजब की उत्तेजना कारक है।
पन्नूजी- 'मतलब?
सेल्समैन- 'दवा मक्खियों को इतना सेक्सी बना देती है कि आप आसानी से दो मक्खियाँ एक साथ मार सकते हैं।

धन्यवाद

हँसी और ठहाके

एक बार, एक प्रेमी-प्रेमिका एक साथ यात्रा कर रहे थे, नीचे वाली सीट पर बैठकर प्रेम की बाते कर रहे थे। प्रेमिका ने प्रेमी से बोला, “मेरे को हाथ मे दर्द है।” प्रेमी ने हाथ को चूमकर बोला, अब ठीक हो जाएगा। फिर थोड़ी देर मे प्रेमिका ने दोबारा बोली, “मेरे गाल मे दर्द है।” प्रेमी ने गाल को चूमकर, कहा “अब ठीक हो जाएगा”। इतनी देर मे ऊपर वाली सीट से एक बुड्डा बोला :

“बेटा, पाइल्स(बावासीर) का भी इलाज करते हो क्या?”

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एक बार अटलबिहारी, मुशर्रफ़, मल्लिका शेरावत और मार्गरेट थेचर, एक साथ ट्रेन मे सफ़र कर रहे थे। ट्रेन एक सुरंग के अन्दर से गुजरी, घना अन्धेरा छा गया। अटल को पता नही क्या सूझी, उसने अपने हाथ को चूमकर एक जोरदार आवाज निकाली और एक जोरदार झापड़ मुशर्रफ़ के रसीद कर दिया। सभी ने झापड़ की आवाज को सुना। ट्रेन जब सुरंग से बाहर निकली, सबने देखा, मुशर्रफ़ अपने गाल को सहला रहा था, सभी ने अलग अलग सोचा:

मुशर्रफ़ सोच रहा था, अटल ने मल्लिका को किस किया होगा, गलती से झापड़ मुझे पड़ गया।
मल्लिका सोच रही थी, हो सकता है मुशर्रफ़ ने मेरे को किस करने के चक्कर मे मार्गरेट थैचर को किस कर दिया हो इसलिए पिटा।
मार्गरेट सोच रही थी, ये मुशर्रफ़ भी ना, गलत जगह हाथ डाल देता है, मुझे किस करता तो, कम से कम, झापड़ तो ना पड़ता ।
अटलबिहारी सोच रहे थे : अबकि बार सुरंग आएगी तो फिर से करूंगा।”


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संतासिंह ट्रेन के लाइनमैन की नौकरी के लिए इन्टरव्यू देने गया। उससे पूछा गया:
इन्टरव्यूवर : संतासिंह मान लो तुम्हे पता चलता है कि तुम्हारे ट्रेक पर दो रेलगाडियां विपरीत दिशा से आ रही है और उनमे टक्कर होने वाली है तो तुम क्या करोगे?
संतासिंह: मै किसी एक ट्रेन को दूसरी लाइन पर स्विच कर दूंगा।
इन्टरव्यूवर : अगर लीवर काम नही कर रहा हो तो?
संतासिंह: तो मै हाथ से लीवर को खींचने की कोशिश करूंगा।
इन्टरव्यूवर :अगर वो भी काम नही किया तो?
संतासिंह: मै दोनो तरफ़ के स्टेशन मास्टर को खबर करूंगा।
इन्टरव्यूवर :अगर फोन भी काम नही कर रहा हो तो?
संतासिंह: मै लाल कपड़ा लेकर ट्रेक पर खड़ा हो जाऊंगा।
इन्टरव्यूवर : अगर उस समय कोई लाल कपड़ा नही मिला तो?
संतासिंह: फिर मै अपनी बीबी प्रीतो, को बुलाऊंगा।
इन्टरव्यूवर :क्यों क्या वो कोई इन्जीनियर है?
संतासिंह: नही, उसने कभी रेलगाड़ियों की टक्कर नही देखी ना।

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रेल के डिब्बे में एक सज्जन ने अपने सामने वाले व्यक्ति को चुपचाप बैठे
देखकर बातचीत करने के इरादे से कहा- भाई साहब आपका रूमाल नीचे
गिर गया है।
इस पर उस व्यक्ति ने कहा- मेरा रूमाल गिर गया है, इससे आपको क्या
मतलब? आपका कोट सिगरेट से जल रहा है, पर मैंने तो कुछ नहीं कहा।

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एक यात्री ने ट्रेन मे दारू पीते पीते, सामने बैठे सरदार यात्री से पूछा,
आप दारू पीते है?
सरदारजी बोले, “ये सवाल है या निमन्त्रण?”
अगर सवाल है तो मै नही पीता, और यदि निमन्त्रण है तो लगाओ गिलास”

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बांकेलाल (प्यारेलाल से)- यार मैं सोचता था कि इस दुनिया में सिर्फ मैं ही उल्लू हूं।
प्यारेलाल (बांकेलाल से)- क्यों क्या हुआ?
बांकेलाल (प्यारेलाल से)- कल मैंने अपनी पत्नी को कश्मीरी सेब लाने को कहा था।
प्यारेलाल (बांकेलाल से)- तो क्या हुआ?
बांकेलाल (प्यारेलाल से)- आज कश्मीर से फोन आया कि उसने सेब खरीद लिए है।

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यात्री (रेल के गार्ड से)- ‘मैं चाय पीना चाहता हूं। कोई ऐसा उपाय बताइए कि मेरे आने तक गाड़ी न चले।‘
गार्ड (मुस्कराकर)- ‘बड़ा सरल उपाय है। मुझे भी अपने साथ ले चलिए।‘

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एक पार्क में तीन सुन्दर कन्याएं घास पर बैठकर बातें कर रही थी । उनमें से एक अंधी थी, दूसरी लंगडी और तीसरी गंजी । एकाएक अंधी ने जोर से कहा, ''वाह ! कितना सुन्दर फूल खिला है वहाँ पर !


लंगडी ने जवाब दिया, ''रुक, मैं अभी दौडकर फूल तोड लाती हूँ।



गंजी फटके से बोली, ''लाकर मेरे सिर पर लगा देना।


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फुटपाथ पर भीड थी । पहलवान अपने दिलचस्प कारनामों को दिखाकर बेशुमार

तालियाँ बटोर रहा था। उसका अगला कारनामा था - 'नीबू निचोड - ....

उसने पूरी ताकत लगाकर इस कदर नीबू को निचोड डाला, कि उसमें रस का एक कतरा भी नहीं बचा। उसने सबको चैलेंज किया - तुममें से अगर कोई इस नीबू से अब एक बूँद भी निकाल कर बता देगा, तो मैं आजीवन उसकी गुलामी करूँगा।

भीड में से एक दुबले से सज्जन निकले और नीबू हाथ में लेकर उन्होंने एक नहीं, पाँच बूँदें टपका दीं । यह देख पहलवान पसीना-पसीना होकर बोला - 'भाई ! आप कौन है?


सज्जन बोले - 'जी....इनकम टैक्स ऑफिसर ।


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नर्सों की नियुक्ति के इंटरव्यू में पूछा गया - जुडवाँ बच्चे किस वजह से पैदा होते हैं?

एक उम्मीदवार लजाकर बोली - उसी वजह से, जिस वजह से एक बच्चा पैदा होता है।



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बेटी (अपनी मां से)- मां, मैं अमर से शादी नहीं करुंगी।


मां- क्यों बेटी, क्या तेरी नजर में कोई और है?


बेटी- हां मां, लेकिन अभी फैसला नहीं किया है।


मां- क्या कोई परेशानी है?


बेटी- मां, मेरे प्रेमी को तो स्वर्ग-नरक में विश्वास ही नहीं है।


मां- घबरा मत बेटी, तू पहले उससे शादी कर ले। शादी के बाद उसे अपने आप स्वर्ग- नरक में विश्वास हो जाएगा।


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समुन्दर तट पर घूमने के बाद एक बच्चा अपने मां-बाप के पास पहुंचा तो पिता ने कहा- इतनी देर से तुम कहां थे ? तुम्हें भूख लगी होगी, चलो किसी होटल में खाना खाते हैं।
बच्चे ने कहा - मुझे तो बिल्कुल भूख नहीं है, मैं चार पैकेट बिस्कुट और पांच कप आइसक्रीम खा चुका हूं।
पिता ने पूछा - वो कैसे ? तुम्हारे पास पैसे कहां से आये?
बच्चे ने कहा - पैसों की जरूरत नहीं पड़ी, मैं तो बस यूं ही इधर-उधर रोता हुआ भटकता फिर रहा था जैसे अपने मां-बाप से बिछड गया हूं।


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पंडिताइन ने अपनी नववधु से कहा कि जरा खटिया ठीक कर दो। पण्डितजी जीमने जा

रहे है आकर तुरंन्त लेटेंगे। बहु दहाडें मार-मार कर रोने लगी। सास से पूछा कि क्यों रो रही है।

बहु ने कहा कि मेरे पिता ने मुझे कैसे भुक्खड घर में दे दिया जिन्हें यजमान के यहां

जीमना भी नहीं आता। हमारे यहां पिताजी जब जीमने जाते हैं तो खटिया साथ जाती है

और जीमने के बाद चार आदमी खटिया पर ही घर लाते हैं। खुद चल कर घर आ गये

तो फिर जीमना क्या हुआ!

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एक साहब ने अपने दोस्त से कहा - क्यों भई, तुम्हारे घर में तो नौकरानी थी। पहले

वही कपड़े धोती थी, आज तुम कैसे खुद कपड़े धो रहे हो?


मैंने उससे शादी कर ली है। दोस्त ने जवाब दिया।

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ग्राहक ने होटल के बेयरे से कहा- मैं तुमसे साफ-साफ कह देता हूं कि मैं इस कमरे में नहीं रह सकता।
क्या तुमने मुझे जानवर समझ रखा है, जो इस कबाडखाने में ठहरा रहे हो, जिसमें केवल एक स्टूल पड़ा हुआ है।
शायद तुम यह समझते हो कि मैं पहली बार शहर आया हूं, इसलिए तुम मुझे उल्लू बनाने की कोशिश कर रहे हो।


बेयरा तनिक झुंझलाकर बोला - जनाब, यह आपका कमरा नहीं लिफ्ट है।

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एक ही चाल में रहने वाली सात स्त्रियों में झगडा हो गया और इस सीमा तक बढा कि

मामला अदालत तक जा पहुंचा। जब मुकदमें में आवाज लगी तब सबने जज के सामने

भीड लगा ली, और अपनी-अपनी कहने लगीं। कुछ क्षणों के लिए जज भी बौखला

गया।


स्त्रियों की चीख-पुकार वहां मचती रही।


आर्डर-आर्डर ! जज ने हथौडा कई मेज पर मारा।


जब शांति हो गई, तब जज ने कहा - सबसे पहले, सबसे अधिक आयु की स्त्री

अपनी बात सुनाये।


और मुकद्दमा समाप्त हो गया।

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एक युवती अपना स्वास्थ्य परीक्षण कराने डॉक्टर के पास गई। डॉक्टर ने उसका चेकअप किया और कहा कि आप अपने पति को बता दीजिए कि वह पिता बनने वाले हैं।


'लेकिन मेरी तो शादी ही नहीं हुई। युवती ने जवाब दिया।


'तो ठीक है, आप अपने मित्र को बता दीजिए कि वह पिता बनने वाला है।


'मेरा कोई मित्र भी नहीं है।


'तो आप अपने पड़ोसी को बता दीजिए।


'मेरा कोई पड़ोसी भी नहीं है।


डॉक्टर झुंझला गया। बोला, 'ठीक है। आप अपनी मां को बता दीजिए कि ईसा मसीह दोबारा आने वाले हैं।

********************
मुंबई की एक बस में कुछ लोग सफर कर रहे थे, जब कंडक्टर टिकट देने को आया तो एक ने पैसे निकालते हुए कहा - हाजी अली।

दूसरे ने कहा - सेंट जोजफ।


एक देवीजी बोलीं - महालक्ष्मी।


पिछली सीट पर एक ऐसे साहब बैठे हुए थे, जो मुंबई में नए-नए आए थे।


जब कंडक्टर उनके पास आया तो वे बोले - मेरा नाम हमीद अली है।

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दो दोस्त बहुत अर्से बाद एक-दूसरे से मिले।


एक ने पूछा- सुनाओ आजकल कैसी कट रही है।


खाक कट रही है, बेकार हूं, सरला भी कटी पतंग की तरह इधर-उधर डोलती फिरती है। लेकिन तुम सुनाओ?


खूब मजे से कट रही है। दूसरे ने कहा- आजकल मैं कटी पतंगें लुटता-फिरता हूं।

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आप परेशान क्यों हैं?


मैंने एक ऐसी दवा तैयार की थी, जिसे प्रयोग करने पर 50 वर्ष की महिला भी 25 वर्ष

की लगने लगती है।


तो इसमें परेशानी वाली क्या बात है? खूब बिकी होगी?


अरे, भला कौन महिला अपनी उम्र 50 वर्ष कबूल करेगी? सो, मेरी दवा नहीं बिकी।

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गुड्डूजी ने खेल खेल मे अपने मामा को चपत लगा दिया। गुड्डूजी की मम्मी ने गुस्से से पूछा 'अपने मामा को चपत लगाते हुए तुम्हें शर्म नहीं आई?

गुड्डूजी बोले - 'मम्मी, मैंने तो चपत भर लगाई है। भगवान कृष्ण ने तो अपने मामा को जान से ही मार डाला था।

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पापा बोले- 'बेटी, पिकनिक पर जरूर जाओ, पर अंधेरा होने से पहले घर जरूर लौट आना।


युवा बेटी ने कहा- 'ओह पापा! अब मैं कोई बच्ची थोडे ही हूं।


पापा बोले- 'बेटी, इसलिए तो कह रहा हूं।

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क्लब में ताश का खेल हो रहा था। एक खिलाडी ने अपनी घडी देखी और पत्ते फेंक दिए।

क्या हुआ? दोस्तों ने पूछा।


मैं चला। आज ठीक आठ बजे पंडित रामलाल का टेलीविजन पर सितार वादन का प्रोग्राम है, मुझे ठीक आठ बजे पहुंचना है।


हमें नहीं मालूम था कि तुम संगीत के इतने बडे प्रेमी हो।


मैं संगीत का नहीं, पंडित रामलाल की पत्नी का प्रेमी हूं।


मुझे ठीक आठ बजे पंडित रामलाल के घर पहुंचना है।

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एक बार एक अंग्रेज हिन्दुस्तान में आया उसने एक दुकानदार से कहा कि मुझे आप

हिन्दी सिखाओ। मैं आपके यहां नौकरी करुंगा।

उसने कहा मेरे पास एक सेब (एप्पल) की दुकान है। यहां जो भी ग्राहक आता है वो तीन चीजें बोलता है

पहली-'सेब क्या भाव हैं?

दूसरी- 'कुछ खराब हैं

और तीसरी-'मुझे नहीं लेने।

इसके बाद दुकानदार ने अंग्रेज को बताया इनके जवाब में उसको बोलना है

तीस रुपये किलो। फिर कहना है

कुछ-कुछ खराब हैं और जब ग्राहक चलने लगे तो उस कहना तुम नहीं ले जाओगे तो

कोई और ले जायेगा।

थोडी देर बाद दुकान पर एक लड़की आई।

उसने पूछा- रेलवे स्टेशन कौनसा रास्ता जाता है?

अंग्रेज ने कहा तीस रुपये किलो।

लड़की ने कहा- तेरा दिमाग खराब है। अंग्रेज ने कहा-कुछ-कुछ खराब है।

लड़की ने कहा-तुझे थाने लेकर जाना पड़ेगा।

अंग्रेज ने कहा-तुम नहीं ले जाओगे तो कोई और ले जायेगा। हम तो खड़े ही इस काम के लिए हैं।

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एक दोस्त दूसरे दोस्त से- तो फिर तुमने वाकई उस लड़की से शादी करने का फैसला कर ही लिया।


दूसरा दोस्त(निराशा से)- हां यार, क्या करुं मजबूरी है।


पहला दोस्त(आश्चर्य से)- क्यों, मजबूरी किस बात की है?


दूसरा दोस्त- अरे यार, वह इतनी मोटी हो गई है कि मंगनी की अंगूठी अब उसके हाथ से उतरती ही नहीं।

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एक पियक्कड का दावा था कि वो आंख बंद करके न केवल किसी पेय का ब्रांड

बल्कि उसके उत्पादक का नाम भी बता सकता है। उस पियक्कड की आंख पर पट्टी

बांधी गई और उसके सामने गिलास रखा गया।


पहला गिलास पीकर वह बोला : हैवर्ड की ओल्ड टवर्न।


दूसरा गिलास : मोहन मीकिन की डिप्लोमेट।


तीसरा गिलास : यूबी की किंग फिशर।


उसकी बातों से लोग बडे प्रभावित हुए। अब उसके सामने अंतिम गिलास रखा गया।

वह अंतिम गिलास पीकर बोला : अरे ये तो यूरिन है।


इस पर एक दर्शक बोला : वो तो हमें भी पता है। आप तो इसके उत्पादक का नाम बताओ।

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एक फौजी अफसर ने मेज पर रखे हुए बिस्कुट के डिब्बों की तरफ इशारा करते हुए अपने सिपाहियों से कहा - जवानो, इन पर इस तरह टूट पड़ो, जैसे लडाई में दुश्मन पर टूटते हैं।


यह सुनते ही सिपाही बिस्कुटों पर टूट पड़े और उन्हें खाने में जुट गए। लेकिन एक सिपाही कुछ बिस्कुट खाता, कुछ अपनी जेब में रखता जा रहा था। अफसर ने उसे देख लिया।


पूछा - नौजवान, ये क्या कर रहे हो?


दुश्मनों को कैदी बना रहा हूं सर- जवान ने जवाब दिया।

धन्यवाद

Saturday 19 January 2008

जन्मा बनारस मे। यहीं पला-बढ़ा,पढ़ा-लिखा और एक आम भारतीय की तरह ज़िन्दगी गुज़र रही..
मेरे बारे मे जितना कुछ मैं कह सकता हूं उस से ज्यादा और सही तो मुझसे जुड़े लोग ही कह पायेंगे…समझ नही पाता कि अपने बारे में क्या कहूं क्योंकि अपने आप को जानने समझने की प्रक्रिया जारी ही है…निरंतर फ़िर भी…जितना मैंने अपने-आप को जाना-समझा…
"बुरा जो देखण मैं चला,बुरा ना मिलया कोय,जो मन खोजा आपणा तो मुझसे बुरा ना कोय"
जितना विनम्र उतनी ही साफ़-कड़वी ज़ुबान भी…शांत पर ज़िद्दी,कभी-कभी अड़ियल होने के हद तक…अक्सर बातचीत के दौरान हल्की-फ़ुल्की बातें करके माहौल को हल्का बनाए रख्नना पसंद है।कभी-कभी ऐसा लगता है कि मैं समझदार हूं (ऐसी गलतफ़हमी अक्सर बार-बार हो जाती है)…वहीं कभी कभी दुसरी ओर ऐसा लगता है कि मैं अभी भी नासमझ हूं…दुनियादारी सीखने मे मुझे और भी समय लगेगा…(यह सोच एक मजाक लगे पर शायद यही सच है)।भीड़ मे रहकर भी भीड़ से अलग रहना मुझे पसंद है……कभी-कभी सोचता हूं कि मैं जुदा हुं दुसरों से,पर मेरे आसपास का ताना-बाना जल्द ही मुझे इस बात का एहसास करवा देता है कि नहीं, मैं दुसरों से भिन्न नहीं बल्कि उनमें से ही एक हूं…!"कर भला तो हो बुरा", जानें क्यों यह कहावत मुझ पर कुछ ज्यादा ही चरितार्थ होती है…करने जाता हूं किसी का भला,वापस लौटता हूं चार बातें सुनकर-अपनी बुराई लेकर…खैर…नेकी कर और दरिया में डाल…!कभी लगता है कि मेरे अन्दर गुस्सा नाम की चीज् ही नहीं…लेकिन कभी-कभी यह भी लगता है कि मुझे बहुत जल्दी गुस्सा आ जाता है…भावुक इतना कि भावनात्मक संवाद सुनकर या पढ़कर आँखें डब-डबा जाती है…पर दुसरे ही पल इतना क्रूर भी कि किसी के नाखून उखाड़ने में भी संकोच ना हो…भले ही रुपए-पैसे से धनी नहीं पर दोस्तों के मामले में जरुर धनी हूं…दोस्त ही यह एहसास करवाते हैं कि मैं उनके लिए भरोसेमंद हूं…, पर मैं निश्चित तौर से कह सकता हूं कि मैं भरोसेमंद नहीं…
स्वभाव में उत्सुकता कुछ ज्यादा ही साथ ही आसपास के घटनाक्रम से प्रभावित हुए बिना नही रह पाता था. काशी के ह्रदय स्थल अस्सी पर जन्म लेने के बाद से ही राजनीति और पत्रकारिता के धुरंधरों के सान्निध्य और कुछ और न कर पाने की परिणति से पत्रकारिता की ओर झुकाव हुआ सो तस्वीरों के माध्यम से दुनिया दिखाने का ठेका ले लिया और फोटो पत्रकार बना..... आजकल राष्ट्रीय अंग्रेज़ी दैनिक के लिए चंडीगढ़ मे कार्यरत हूँ ।
"शब्द और मैं"शब्दों का परिचय,जैसे आत्मपरिचय…मेरे शब्द!मात्र शब्द नही हूं,उनमें मैं स्वयं विराजता हूं,बसता हूंमैं ही अपना शब्द हूं,शब्द ही मैं हूं !निःसन्देह !मैं अपने शब्द का पर्याय हूं,मेरे शब्दों की सार्थकता पर लगा प्रश्नचिन्ह,मेरे अस्तित्व को नकारता है…मेरे अस्तित्व की तलाश,मानो अर्थ की ही खोज है॥इस सब के अलावा,बहुत से मौकों पर मैं इतना ज्यादा झुक जाता हुं कि लगे जैसे इस इंसान मे रीढ़ की हड्डी ही ना हो……पर मुझे लगताहै कि मुझमे वह सब कुट-कुट कर भरा हुआ है जिसे हम अंग्रेज़ी मे "ईगो" कह्ते हैं…लब्बो-लुआब यह कि मैं एक आम भारतीय हूं जिसकी योग्यता भी सिर्फ़ यही है कि वह एक आम भारतीय है जिसे यह नहीं मालुम कि आम से ख़ास बनने के लिए क्या किया जाए फ़िर भी वह आम से ख़ास बनने की कोशिश करता ही रहता है…।

धन्यवाद